Sunday, February 14, 2010

राजनेता अपनी सामाजिक जिम्मेदारी समझें


राजनेता अपनी सामाजिक जिम्मेदारी समझें
भारत विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में से एक है और भारत की आधी से ज्यादा आबादी युवा है भारत के युवाओ की भूमिका देश के सामाजिक और राजनीतिक भविष्य में बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन तम्बाकू आपदा के कारण आज कई युवा विभिन्न बीमारियो से ग्रसित हो रहे है. भारत में हर साल करीब ३० हज़ार करोड़ रूपये तम्बाकू से होने वाली बीमारियों पर खर्च होते है. वैश्विक युवा तम्बाकू सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में १४ प्रतिशत युवा किसी न किसी रूप में तम्बाकू का उपयोग करते है , इसके आलावा ७२.५ प्रतिशत युवा जिन्होंने दुकान से सिगरेट खरीदी उन्हें उम्र के आधार पर टोका नहीं गया

लोगो को तम्बाकू आपदा से बचाने के लिए हमारी संसद ने सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनियमन) अधिनियम, 2003 (COTPA) बनाया है इस कानून की धारा ६ के अनुसार किसी भी शैक्षणिक संस्थान के १०० गज के दायरे में तम्बाकू उत्पाद की दुकान प्रतिबंधित है
तम्बाकू नियंत्रण कानून 2003 के मुख्य प्रावधान :
सेक्शन ४ सभी सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेध है
सेक्शन ५ तम्बाकू उत्पादों के प्रचार प्रसार,उनके द्वारे प्रयोजन निषेध है
सेक्शन ६ अ १८ वर्ष से कम उम्र के बच्चो को तम्बाकू उत्पाद बेचना प्रतिबंधित है
सेक्शन ६ ब शैक्षणिक संस्थानों के १०० गज की परिधि में तम्बाकू उत्पादों का विक्रय प्रतिबंधित
सेक्शन ७ तम्बाकू उत्पादों पर चित्रमय स्वस्थ्य चेतावनी प्रदर्शित होनी चाहिए

हाल ही में करीब १२ सांसदो ने प्रधानमंत्री से कहा है की वो स्कूल के १०० गज के दायरे में आने वाली तम्बाकू उत्पादों की दुकानों पर से निषेध हटा दे . सांसदों का कहना है के इससे दुकानदारो को हानि होगी इसलिए इस प्रतिबन्ध को हटा दिया जाये .
भारत जैसे देश में जंहा हर साल ८ लाख से ज्यादा लोगो की मृत्यु तम्बाकू से होने वाली बीमारियों के कारण होती है और करीब ३७ प्रतिशत बच्चे १० वर्ष की उम्र से धूम्रपान शुरू कर देते है उस देश में राजनेता अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को समझते हुए स्कूल के १०० गज के दायरे में आने वाली तम्बाकू उत्पादों की दुकानों पर निषेध को हटा देने वाले सुझाव का विरोध करे ताकि हम हमारी आने वाली पीढ़ी को तम्बाकू आपदा से बचा सके

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